झील के किनारे टिमटिमाते सितारे उतर आए पेड़ों की टहनियों पर जुगनुओं के रूप में... ...शेष अनुशीर्षक में... झील के किनारे टिमटिमाते सितारे उतर आए पेड़ों की टहनियों पर जुगनुओं के रूप में, चाँद भी मचल उठा इन जुगनुओं के लिए हो गया तैयार आने को धरा पर बैठने ओस भरी दूब में बादल भी चाँदनी की चादर ओढ़े घूम रहे है खुले आसमान में, घाटी सहेज रही ये दिलकश नज़ारा अपने बाहुपाश के मर्तबान में मैं अभी-अभी निशा से थम जाने की गुज़ारिश करके आया हूँ,