Happy Janmashtami हे कृष्णा मन काहे विचलित हो उठा,एसे मचलकर जैसे आया हो पथरीले पथ पे चलकर काहे मन की कसर को इसने जाहिर किया मुझे भी पता है मैंने भही ये जीवन कई बार है जिया..... मन की ईचछा या तन की शियाही खुसबू इसकी मन पर आई....