मैं बेवजह ही उस गली जाता था, जिस गली उसका घर होता था...! मैं पैदल ही गुजरता था.... वह खिड़की से तकती थी !! मैं ईद मुबारक कहता था... वह दिवाली के जश्न मनाती थी !!! बस इक बकरीद का जशन था कि हम में बात न बनती थी..!! मैं पंडित जी का बेटा... वह काजी साहब की बेटी थी.! मैं अपने तो... वह अपने समाज का गुरुर थी.. बस यहीं हमने हारी बाजी थी..!! मैं पंडित जी का बेटा... वह काजी साहब की बेटी थी..!!! #इश्क़इश्क़#मजहब #इश्क़हैतुमसे ##misraword #misralove