"किसी(मायके वाले) से मांग कर(शादी करके) लाया था तू अपने उपवन में मुझे लगाने बड़े प्यार से पर लू(नफरत) के थपेड़ों में जिसे तू भूल गया प्यार के जल से सींचना अपने उस उपवन(परिवार) में.. मैं वही कुम्भलाया हुआ पौधा(रिश्ता) हूँ मेरे माली(पति)...... अभी भी वक्त है सींच ले(स्वीकार) मुझे मैं सिर्फ कुम्भलाया हूँ सूखा(टूटा) नही हूँ अभी।।" }}}}}}#बबिता#{{{{{{