यहाँ जीवन जीना इतना भी आसाँ नहीं होता यारों,
तपती धूप और मुसीबतों के शूलों से गुजरना पड़ता है।
मुहब्बत के लाखों कस्में खाने वाले भी अक्सराँ,
टूटकर बिखर जाते हैं मजबूरियों के बोझ तले।
कुछ आराम क्या मिलती है जिंदगी को,
दवाइयों और डॉक्टरों के कसीदे पढ़ने में ,
आधी जि़ंदगी ही निकल जाया करती है।
#Life