एक घर हो ख्वाबों का हसरतों का जहां बरसात से भीगते हुए झरोखे, घर के पास खड़े हरे भरे पेड़ ,बारिश में तर होते हुए, आंगन पानी से लबालब भरा हुआ। एक घर कॉंक्रीट पत्थर ईटों से नहीं,वह होता है जज्बातों का, एहसासों का ,हर वह उम्मीद का, जो एक इंसान सोचता हैं । (एक घर जो मीठी यादें संजोए होता है। चंद पल देकर आप उन्हें जी उठेंगे) 'पूरी पंक्तियां नीचे पढ़े, एक घर हो ख्वाबों का हसरतों का जहां बरसात से भीगते हुए झरोखे, घर के पास खड़े हरे भरे पेड़,बारिश में तर होते हुए, आंगन पानी से लबालब भरा हुआ। एक घर कॉंक्रीट पत्थर ईटों से नहीं,वह होता है जज्बातों का, एहसास का,हर वह उम्मीद का, जो एक इंसान सोचता हैं । जब थका हारा घर के दरवाजे पर आता है।तो सुकून का जो एहसास उसे भर लेता। घर की दीवारें जगमगा उठती है। जो बूंद बूंद कर कर ईमानदारी की पसीने की खुशबू से महकता हुआ