हरा-हरा कुंदन का हार जैसे तेरे गले बसे बहार लंबे-लंबे कुंदन के झुमके चूमे तेरे चमकते गाल लब तेरे लगते गुलाब चंचल आंखें करें कमाल एक कंधे सजे दुपट्टा दूजे सिल्की-सिल्की बाल महकी-महकी तेरी बातें दिल में भरते रोज नये ख्याल तेरे ख्यालों की माला पहन मैं जपता तेरा नाम पल-पल ओ मेरे रब्बा कर खैर आज मेरी गली कर सैर।। ©Mohan Sardarshahari ख्यालों की माला