एक ही माटी का रे मानव तू एक ही तेरी सियाही हैं हैं मानुष ना रे गिरगिट तू फिर क्यों छन में बदले भेष हैं हवा की गति हैं फीकी पड़े मन की गति सर्वश्रेष्ठ हैं रिश्ते तोड़े अपनो को छोड़ा अहम को रखा खुद में शामिल समय रहत तू समझ ना पाया अपनो का तूने क़ीमत लगाया दौलत का संसार सजाया सब कुछ पाकर भी तूने सब कुछ खोया वक्त के सिकंदर से तू लड़ ना पाया उम्र कम रही और इल्जाम जिंदगी पर आया 🌸 ©siya pandey #Nojoto #Nojoto team #TimeChanges #wqt_wqt_ki_bat #इंसान गिरगिट #दौलत_की_दशा #वक्त_सब_बेनकाब_कर_देगा #“मन”