मैं लिखना चाहता हूँ! प्रेम की सभी सम्भावनाओं को। तेरे हृदय के रिक्त पन्ने पर, अपनी इच्छाओं की लेखनी से। तेरे साथ जुड़ जाना चाहता हूँ! जैसे जुड़ रहती है स्याही पन्ने से। हमेशा हमेशा के लिए युगों युगों तक। प्रेम और पीड़ा दोनों एक जैसे एक राशि। ख़ुशी में या दुःख में जैसे निकलते आँसू। प्रतीति दोनों भाव "रिक्त" करते अंक को! मन को ले जाते भावनाओं के आकाश में, मोहब्बत का चाँद तलाशते! वहाँ क्षितिज पे मिलतीं हैं!मुस्कुराहटें। अच्छा! मुस्कुराहटों के पीछे प्रेम या पीड़ा, अलावा इसके और भी कुछ हो! जीवन-मृत्यु,नर-नारी,पुरुष-प्रकृति, भाव से अभाव और अभाव से भाव। शून्य से सब सबकुछ,सबकुछ शून्य, प्रेम ऐसा है तेरा मेरा और मेरा तेरा। 🎀 Challenge-213 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।