ये शायरी-वायरी, सब कलम के दाव-पेच हैं धर्मेंद्र, कहीं इन को दिल पे मत ले बैठना..! ये शायरी-वायरी, सब कलम के दाव-पेच हैं धर्मेंद्र, कहीं इन को दिल पे मत ले बैठना..!