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लब के लब पास है तो इंतजार किस बात का कसक उठी

लब के लब  पास  है तो 
इंतजार  किस  बात का
कसक उठी  मिलन की 
तो इंकार किस बात का |

चूम  कर  आंखों  को 
आंखों  में  देखो अगर 
ना   आंखें   देखूं   तो 
प्यार  किस  बात  का |

पलकों पर लग गया है 
होठों  का   रस   अब 
लाख   पतझड़  आए 
डरना  किस  बात का |

तुम बन कर अमरबेल 
समेटो अपनी बाहों में
छोड़ने का ख्याल आए 
तो आए किस बात का |

"सुशील" लिखता है          • सुशील ग़ाफ़िल •
कल्पनाएं फिर भी मिले 
कोई सच्चा तो फिर 
मलाल किस बात का | लब के लब पास है तो 
इंतजार किस बात का
कसक उठी  मिलन की 
तो इंकार किस बात का|

चूम  कर  आंखों  को 
आंखों  में देखो अगर 
ना   आंखें   देखूं   तो
लब के लब  पास  है तो 
इंतजार  किस  बात का
कसक उठी  मिलन की 
तो इंकार किस बात का |

चूम  कर  आंखों  को 
आंखों  में  देखो अगर 
ना   आंखें   देखूं   तो 
प्यार  किस  बात  का |

पलकों पर लग गया है 
होठों  का   रस   अब 
लाख   पतझड़  आए 
डरना  किस  बात का |

तुम बन कर अमरबेल 
समेटो अपनी बाहों में
छोड़ने का ख्याल आए 
तो आए किस बात का |

"सुशील" लिखता है          • सुशील ग़ाफ़िल •
कल्पनाएं फिर भी मिले 
कोई सच्चा तो फिर 
मलाल किस बात का | लब के लब पास है तो 
इंतजार किस बात का
कसक उठी  मिलन की 
तो इंकार किस बात का|

चूम  कर  आंखों  को 
आंखों  में देखो अगर 
ना   आंखें   देखूं   तो