"कुछ नहीं" मतलब??" तुम कुछ भी कहती कहती "कुछ नहीं" कहकर बात क्यों टालती हों.. ----- कुछ नहीं मतलब... "कुछ नहीं" में छुपा होता है "बहुत कुछ"। जैसे "अब प्यार नहीं करती" में छुपा होता है "प्रेम"। "अब याद नहीं आती" में छुपी होती हैं "बहुत सारी याद"। "तुम्हे कब का भुला दिया" में छुपी होती है "अनगिनत यादें"। जैसे "अब बात नहीं होती" में छुपी होती है ''एक दुखांत प्रेम कहानी"। कैसे कह देती हो कि "बात नहीं बचीं"। इसलिए फोन रख देना चाहिए। क्या चुप रहना बात करना नहीं? कहीं पढ़ा था, आदमी बात कर सकता है और चुप रह सकता है, एक ही वक्त में। बहुत कम लोग इसे समझते हैं। तुम्हारी सांस और बालों के सरकने की आवाजों को भी मैं घण्टों सुन सकता हूँ। घर के काम भी करती रहोगी तो मैं बर्तनों की आवाज सुनकर भी घण्टों बैठा रहा सकता हूँ तुम्हारे फोन पर। ये अर्थहीन सी बात है कि बात नहीं बचीं तो बात न करें। मैं चाहता हूं तुम्हारे झुमकों की आवाज को सुनना भी तुमसे बात करने में गिना जाना चाहिए। जब सारी बातें खत्म हो जाएंगी तो मैं तुम्हारे आसपास की आवाजों को ही सुन लिया करूँगा। इसे सुनने के बजाय कि "अब बात नहीं होतीं" ©samar shem #कुछ_नहीं