ज़िंदगी तू मुक्कमल नहीं, सब कुछ यहाँ, कहाँ सही होता है किसी का कुछ, तो किसी का कुछ और पीछे छूटता है चाहे जैसी भी है तू, मुझे बेहद प्यारी है मैंने हर हाल में, तुझसे बाज़ी मारी है तूने सिखाया है मुझे बहुत कुछ, नहीं हार कभी मैंने मानी असमंजस में पड़ जाती हूँ मैं कभी, फ़िर भी तेरी मैं हूँ दीवानी ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1105 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।