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नफ़रत वह चिंगारी है जो एक बार लग जाए तो फिर कम नही

नफ़रत वह चिंगारी है जो एक बार लग जाए तो फिर कम नहीं होती है और बढ़ती ही जाती है।
नफ़रत माचिस की तीली की तरह है या बुझ जाती है या खुद को जलाकर खाक कर लेती है।

नफ़रत के बदले में एक बार प्यार देकर देखो नफ़रत ज्यादा नहीं तो थोड़ा कम हो ही जाएगी।
प्यार के बदले प्यार देने से प्रेम बढ़ता है परंतु नफ़रत को नफ़रत से मिटाया नहीं जा सकता है।

दिलों के रिश्तों में हर बात साफ होनी चाहिए नफ़रत को थोड़ी सी भी जगह नहीं देनी चाहिए।
नफ़रत का बीज धीरे-धीरे पनप कर दिलों की दूरियां बढ़ाकर रिश्तो को तोड़ कर ही रहता है।

 A challenge by Collab Zone🌟 

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।

✔️समय - ३ फरवरी शाम ५ बजे तक

✔️प्रतियोगिता में भाग लेना ना भूलिए  टॉप ३ विजेताओं को testimonial दिया जाएगा ।
नफ़रत वह चिंगारी है जो एक बार लग जाए तो फिर कम नहीं होती है और बढ़ती ही जाती है।
नफ़रत माचिस की तीली की तरह है या बुझ जाती है या खुद को जलाकर खाक कर लेती है।

नफ़रत के बदले में एक बार प्यार देकर देखो नफ़रत ज्यादा नहीं तो थोड़ा कम हो ही जाएगी।
प्यार के बदले प्यार देने से प्रेम बढ़ता है परंतु नफ़रत को नफ़रत से मिटाया नहीं जा सकता है।

दिलों के रिश्तों में हर बात साफ होनी चाहिए नफ़रत को थोड़ी सी भी जगह नहीं देनी चाहिए।
नफ़रत का बीज धीरे-धीरे पनप कर दिलों की दूरियां बढ़ाकर रिश्तो को तोड़ कर ही रहता है।

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✔️समय - ३ फरवरी शाम ५ बजे तक

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