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इतने सालों में हमने वसंत से लेकर पतझड़ सब देखा जैसे

इतने सालों में हमने वसंत से लेकर पतझड़ सब देखा जैसे देखता है कोई कवि अपनी कल्पनाओं को जो कभी एक कविता का रूप लेती हैं , हम दोनों उस कविता के समान हैं जिसका अर्थ तुम और सत्य में हूं 

जिशान्त अंसारी

©Jishant ansari #RAIN_VECTOR
इतने सालों में हमने वसंत से लेकर पतझड़ सब देखा जैसे देखता है कोई कवि अपनी कल्पनाओं को जो कभी एक कविता का रूप लेती हैं , हम दोनों उस कविता के समान हैं जिसका अर्थ तुम और सत्य में हूं 

जिशान्त अंसारी

©Jishant ansari #RAIN_VECTOR