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मिला है जीवन मनुष्य का, मेहरबानी मेरे रब की..! ज़

 मिला है जीवन मनुष्य का,
मेहरबानी मेरे रब की..!

ज़िन्दगी गुज़र जाती वरना,
न जाने यूँ ही कब की..!

सोचता हूँ खिलाऊँ एक बाग़,
मुस्कान खिले जहाँ सब की..!

पसंद करता नहीं कोई मुझे,
औरों के लिए जीता हूँ जबकि..!

ये बातें हैं मुलाक़ातें हैं,
ख़्वाबों में ख़ुदा से तब की..!

प्रार्थना में फ़रियाद करते करते,
लगी जब एक पल को झपकी..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Journey #Meharbani