*सुविचार* *Date-22/5/19* *Day-Wednesday* क्या कभी आपने ये सोचा हैं.... कि "विषपान" करने के पश्चात भी "महादेव"... "देवों के देव महादेव" कहलाए.... और दूसरी ओर "अमृतपान" करने के पश्चात भी "राहू" और "केतु" "असुर" ही कहलाए.... क्यो? इसका कारण है "भाव" ... आपके "कर्मो" के पीछे जो आपका "भाव" हैं अत्यंत "महत्वपूर्ण" है... यह "संसार" किसी" व्यक्ति" को वहीं से तो जानता हैं..." कर्मो" के पीछे उसके "भाव" से, यदि कोई "परोपकार" करे, तो उसके पीछे उसका" भाव" "स्वार्थ" का हो, वो "परोपकारी मनुष्य" अपने आप ही अपना" महत्व" खो देता है... यदि आपके "कर्म" के पीछे आप का "भाव" "उचित" हो... तो "श्राप" भी "वरदान" में परिवर्तित हो सकता है और यदि आपके "कर्म" के पीछे आपका "भाव" "अनुचित" हो तो "वरदान" को "श्राप" का रूप लेने में अधिक "समय" नहीं लगता तो यह सारा "खेल" है.. "कर्मों" का और "भावों" का तो... "शुद्ध मन" से "अच्छे कर्म" करें और" कर्मों" के पीछे" भाव" उचित रखें... *Bý-Åťüľ Şhãřmå* 🖊️🖋️✨✨🙏🏻👍🏻 *सुविचार* *Date-22/5/19* *Day-Wednesday* क्या कभी आपने ये सोचा हैं.... कि "विषपान" करने के पश्चात भी "महादेव"... "देवों के देव महादेव" कहलाए.... और दूसरी ओर "अमृतपान" करने के पश्चात भी "राहू" और "केतु" "असुर" ही कहलाए.... क्यो?