इक खूबसूरत दिन, की शुरुआत हुई है तुझसे उम्मीदें रूबरू हुई हैं, आज हमसे अपने हौसलों से, कुछ कर गुज़र जाना है कोशिश करने वालों के, क़दमों तले ज़माना है "प्रिय प्रातः... "आईए जुगलबंदी कीजिये इस भोरमयी छवि व वाक्यांश के साथ और बताईये प्रातः को अपने ह्रदय की बात" "कॉलेब करने के बाद कमेंट बॉक्स में 'संपन्न'/'Done' लिखना न भूलें" (कृप्या हमारे हैशटैग न हटाएँ जिससे हम आपकी रचनाओं को आसानी से पढ़ सकें)