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हम शोर बना देंगे, मगर कोई आवाज तो उठानी होगी। अब ह

हम शोर बना देंगे, मगर कोई आवाज तो उठानी होगी।
अब हर सीने तक हमे, ये चिंगारिया पहुचानी होगी।

सदियो से गर्द में दबी थी, जो गैर मुल्को के रिवाज़ में,
अब हमे अपनी वो पुरानी पहचान बतानी होगी।

वो रुबरु नही हुए है अभी हमसे अच्छे से,इसलिए गुर्र्राते बहुत है 
लगता है कुरुक्षेत्र की वो थोडी सी माटी हवाओ में उडानी होगी।

ये जहर तो है मगर पीना तो पडेगा,
तभी इस मुल्क की हवाए सुहानी होगी।

वो सुरज को रोशनी दिखाने चले है,
उनको अब उनकी असली औकात दिखानी होगी।

हमने मोह्बत ही की है हर दफा, 
अब मुल्कात नफरत से भी करानी होगी।
    
                                         (रोहित बैराग) # आवांज उठानी होगी
हम शोर बना देंगे, मगर कोई आवाज तो उठानी होगी।
अब हर सीने तक हमे, ये चिंगारिया पहुचानी होगी।

सदियो से गर्द में दबी थी, जो गैर मुल्को के रिवाज़ में,
अब हमे अपनी वो पुरानी पहचान बतानी होगी।

वो रुबरु नही हुए है अभी हमसे अच्छे से,इसलिए गुर्र्राते बहुत है 
लगता है कुरुक्षेत्र की वो थोडी सी माटी हवाओ में उडानी होगी।

ये जहर तो है मगर पीना तो पडेगा,
तभी इस मुल्क की हवाए सुहानी होगी।

वो सुरज को रोशनी दिखाने चले है,
उनको अब उनकी असली औकात दिखानी होगी।

हमने मोह्बत ही की है हर दफा, 
अब मुल्कात नफरत से भी करानी होगी।
    
                                         (रोहित बैराग) # आवांज उठानी होगी