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दीवारें कहती है कि मुद्दतों से खड़े हैं हम, रिश्तो

दीवारें कहती है कि मुद्दतों से खड़े हैं हम,
रिश्तों में दीवार उठाए।
बहुत हो चुका कोई तो गिरा दे हमें,
हम भी किसी को किसी के पास बैठाएं।। 

हम ना कभी टूटते दिलों में, 
उस खौफ के बाशिंदे बने।
मोहब्बतें दिलों में तरोताजा हो,
हमें तोड़कर लोग गले मिले।।

हम दीवारें ईट पत्थरों से जो जुड़ी है, 
चलो उसे तोड़ा भी जाए।
पर जो दीवारें उठी है दिल के आशियाने में, 
उसे बताओ कौन नादान गिराए।।

ऊंची ऊंची दीवारें उठा दिए है लोगों ने,
 अपने ख्यालों की।
गुफ्तगू करना भी मुनासिब नहीं समझते,
आबाद है दुनिया नफरत भरे सवालों की।।


जर्जर हो चुकी बुनियाद हौसला टूट चुका, 
लोगों से उम्मीद लगाए।
सब मसरूफ हैं अपने ज़हन की वादियों में, 
बताओ महफिलें मोहब्बत की अब कौन सजाए।।

दीवारें कहती है कि मुद्दतों से खड़े हैं हम,
रिश्तों में दीवार उठाए.....

©Yogendra Nath Yogi #Deeware#दीवारें कहती हैं
दीवारें कहती है कि मुद्दतों से खड़े हैं हम,
रिश्तों में दीवार उठाए।
बहुत हो चुका कोई तो गिरा दे हमें,
हम भी किसी को किसी के पास बैठाएं।। 

हम ना कभी टूटते दिलों में, 
उस खौफ के बाशिंदे बने।
मोहब्बतें दिलों में तरोताजा हो,
हमें तोड़कर लोग गले मिले।।

हम दीवारें ईट पत्थरों से जो जुड़ी है, 
चलो उसे तोड़ा भी जाए।
पर जो दीवारें उठी है दिल के आशियाने में, 
उसे बताओ कौन नादान गिराए।।

ऊंची ऊंची दीवारें उठा दिए है लोगों ने,
 अपने ख्यालों की।
गुफ्तगू करना भी मुनासिब नहीं समझते,
आबाद है दुनिया नफरत भरे सवालों की।।


जर्जर हो चुकी बुनियाद हौसला टूट चुका, 
लोगों से उम्मीद लगाए।
सब मसरूफ हैं अपने ज़हन की वादियों में, 
बताओ महफिलें मोहब्बत की अब कौन सजाए।।

दीवारें कहती है कि मुद्दतों से खड़े हैं हम,
रिश्तों में दीवार उठाए.....

©Yogendra Nath Yogi #Deeware#दीवारें कहती हैं