तुमसे बिछड़कर कहाँ मै फिर खुद का रहा, हर तरफ तेरी यादों का साया ही रहा, बेचैन मुझे हर पल तेरी बातें कर जाती थी, मेरे आखों में अश्को के सागर दे जाती थी, क्यो मोहब्बत में आज ये अंजाम आया, क्यो मेरा बेइन्तहा इश्क तुम्हे समझ नहीं आया। P.P.018 #PP_शब्दरेखा_तुमसेबिछड़कर ➡️समय सीमा 24 घंटे या निर्दिष्ट के अनुसार। ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।