जाकर चूम लेता मैं उनके बूढ़े झुर्रियों वालों हाथों को, चरण पखार देता मैं अपने प्रेम के आंसुओं से, बढ़ा देता मैं मुस्कराहटें उनके सूखे होंठों की... (शेष अनुशीर्षक में)... मैं तुम्हें आज कोई आशीर्वाद ना दूंगा... तुम्हारे लिए तो मैंने इतनी दुआएं करी हैं कि तुम अब अमर हो समय के चिरकाल तक हनुमान की तरह...