ये बेपरवाह है जमाना मुझे तुम ही संभालो... तुम्हारे अलावा कोई न चाहूँ, तुम्हारे अलावा कुछ और न चाहूँ, अनजान है जमाना मुझे तुम ही जानो... तुम्हें पता है कि क्यों... मैं इस तरह की हूं, तुम्हें पता है कि कैसे और किस तरह की हूं, बेढंग है जमाना इसे तुम ढंग में ढ़ालो... एक शोर सा है दिल में एक चुप्पी जुबां पर, हम बोले भी तो किससे है वीरान मकां पर, दूर जाती ही नहीं ये अड़चने; कितना भी टालो... ये बेपरवाह है जमाना मुझे तुम ही संभालो... ©Swatlqalb ye beparwaah hai zamana... #Thoughts #swatalqalb #TG #Beparwaah #Zamana #Shayar