मैं लड़की हूं ना मेरी आवाज को हमेशा दबा दिया जाता है मैं अपने लिए कुछ करने की सोचूं तो मुझे हमेशा सँमझा दिया जाता है वैसे तो मुझे मां दुर्गा और लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है पर असल में मुझे मेरे अधिकार से भी वंचित किया गया है पापा की संपत्ति मे से मुझे बस पापा के प्यार का हिस्सा दिया गया है। पर बदले में पुरे खानदान की इज्जत का बोझ मेरे कंधों पर लाद दिया है वैसे मैं इतनी नासमझ हूं कि मुझसे मेरा लाईफ पार्टनर चुनने का हक भी छिन लिया है। और साथ में मैं इतनी मजबूत भी हूं कि एक अनजान घर को मुझे सौंप दिया है बेटों को घर का चिराग़ और मुझे पराया धन बता दिया है सबसे पहला अन्याय तो मेरे साथ मेरे परिवार ने ही किया है बेटे अगर गलत भी है तो उनकी कमियों को छुपा लिया जाता है और मुझे मेरा हक मांगने पर भी डांट दिया जाता है ©Pratyusha Palei #girlpoetry