< मैं वीरान खंडहर सी जहाँ कोई आता नहीं देखने आते हैं सब मगर कोई रुकता नहीं तुम सावन की हरियाली से और मधुमास से मैं तप्त रेगिस्तान सी जहाँ कोई टिकता नही तुम प्रेम हो, प्रेम के अथाह सागर हो मैं सूखे पौधे सी जिसमें कोई फूल खिलता नहीं मैं ज़मीन पर गिरे बेजान पत्ते सी और तुम तेज हवा के झोकों से उड़ा कर ले चलो अपनी दुनियां में जहाँ कोई उजड़ता नहीं ©Richa Dhar #lalishq ✍️✍️✍️