धनतेरस - कुण्डलिया - धनतेरस पर अब मुझे, रही न धन की चाह। तन-मन स्वस्थ रहे सदा, इसकी है परवाह।। इसकी है परवाह, कृपा धन्वंतरि करिए। जीवन के संताप, हमेशा हरते रहिए।। प्रभु जी इतनी चाह, ज़िंदगी रहे न बेरस। भरे रहें भण्डार, सभी को शुभ धनतेरस।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava #धनतेरस हिंदी कविता हिंदी कविता