White सब ही झूठे हैं। स्त्री पुरुष में तलाश रही है स्त्री, और स्वयं में ढूंढती है पुरुष। पुरुष स्त्री में तलाशता है भोग, और स्वयं में धर्म। धर्म लोगों पे तलाशता है नैतिकता, और स्वयं में प्रेम। प्रेम जगत से करता है आशा स्वीकृति की, और स्वतः स्वीकारता है जात धर्म । जात दुनिया में तलाशती है भाईचारा, भाईचारा ढूंढता है पुरुष। पुरुष फिर स्त्री तलाशता है। स्त्री पुरुष। जन्मजात नंगे लोग उत्साहित है नंगे होने को। हमेशा। नंगे लोग कपड़े पहनते है। जैसे नेता टोपी और प्रेमी चश्मा लगाता है। एक शैतानी खोपड़ी दूसरे की भूखी आंखे पर्दे में है। कोई तो राह है होगी जहां स्त्री अपनी कोमलता को , पुरुष अपनी दृढ़ता को, धर्म एकता को, प्रेम नम्रता और विश्वास को, जाती मानवता को चुन कर भोगे अपना होना। मूल का ही मोल है। बाकी सब ढोंग है। सब झूठ है। ©निर्भय चौहान #sad_quotes नीर करम गोरखपुरिया