I need (ग़ज़ल) -------------------------------------------- कोई सूरत नही दिखता है चाँदसी... -------------------------------------------- जिंदगी मुकम्मल हो गयी थी मेरी, तेरा, मेरे जिंदगी में आने के बाद! मैं देखता था चाँदसी सूरत अपने छत से कभी,जाते हुए माह-ए-रमज़ान आने के बाद! जब तुम दौड़ती हुई अपने छत पे आती थी दीदार-ए-चाँद को, चाँद रात आने के बाद! मगर अब,मेरे जिंदगी मे ऐसा कुछ नही होता, मैं छत पे नही जाता, चाँद रात आने के बाद! कोई सूरत नहीं दिखता है चाँदसी, मुझको छत से,तेरायूँ मुझसे रूठ कर जाने के बाद! जहाँ भी हो चली आओ तुम,अब, मैं बहुत तन्हा हूँ,तेरे जाने के बाद! एक पल न जी सकूँगा, अब यहाँ पर, मैं बहुत टूट गया हूँ, तेरे जाने के बाद! दुनिया ताना देती है, मुझ को हर-रोज, अब, तेरा नाम लेकर, तेरे जाने के बाद! ✍️-जितेन्द्र #ग़ज़ल -------------------------------------------- कोई सूरत नही दिखता है चाँदसी... -------------------------------------------- जिंदगी मुकम्मल हो गयी थी मेरी, तेरा, मेरे जिंदगी में आने के बाद!