Nojoto: Largest Storytelling Platform

कटोरे में पड़ोसी कटोरे में कब से पड़ा था पड़ोसी

कटोरे में पड़ोसी

कटोरे में कब से पड़ा था पड़ोसी
  फिर भी कुछ गुण गाते थे
  खा के दवा बेहोसी।

अच्छे लगते हो गुहार लगाते हुए
कितने सांसों की डोर तुमने भी तो तोड़ी है
आतंकवाद के आंकाओ तुमने किसको छोड़ी है।

जन्नत के नाम पर मासूमों का गला घोटा है
अब वो क्या बयां करे 
जिन्हे तुमने 72 हूरो के नाम पर लूटा है।

  हमने तो सबको गले लगाया है
प्रेम की भाषा में समझाया है
और भूखे पेट दुश्मन को भी भरपेट भोजन कराया है।

    वक्त की पुकार सुनो
रार छोड़ो अब मानवता की बात करो
आंतकियो को छुपाए बैठे हो उन्हे अब सरेआम करो।

मानता हूं कुछ देर के लिए मैला होगा आंचल
लेकिन फिर से एक नया सबेरा होगा
नहीं तो पड़ोसी अभी और तेरा गर्क बेड़ा होगा ।।

।।लेखक ओझा।।

©लेखक ओझा
  कटोरे में पड़ोसी
#poem

कटोरे में पड़ोसी #poem #Poetry

152 Views