बुजुर्ग शायद पर्वत या कि हथौड़ा तोड़ ले, गिरते विश्वास से, ठंडी पड़ती आस से, घिरे उपहास से, निर्जला लंबे उपवास से, सहस्त्रों वर्षों के वनवास से जीतकर बस घड़ी गिननी है हमें इतना अंत भी सौ युगों की प्रेरणा है, या तो बुजुर्ग का नाम, या पर्वत का आयाम जियेगा। जो भी हो किसी एक का नाम रहेगा। बुजुर्ग और पर्वत