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गोल मटोल बेफिक्र सी अल्हड़ मासूम आँखें होठों पर ना

गोल मटोल बेफिक्र सी अल्हड़  मासूम आँखें होठों पर नादान
मुस्कराहट ....देव-भूमि में  कदम रखते ही जाने कैसी स्फूर्ति  
आ गई फिर से वही  मुस्कराहट पर ये कुछ अलग गम्भीर थी,देव-भूमि उत्तराखंड  उसकी पहली पसंद ....कुछ सवाल उठे-वो कहाँ है,मैने पूछा--कौन? सवाल हतप्रभ!हैरान! होकर.... "वो नादान मुस्कराहट अल्हड़  मासूम आँखे"
इस बार देव-भूमि भी करुण रूदन में  थी वो सवाल हर वादियों का था देव-भूमि में इस बार वादियां क्यूँ उदास थी 
अपने हरे सुन्दर से आँचल के साथ देव-भूमि अपने आगोश
में  फिर उसे लेने को तैयार थी शायद.....वह भी समा जाना चाहती
इस पवित्र देव-भूमि के आँचल में  लम्बी खामोशी और शान्ति के साथ...........✍ #खामोशी और#सवाल
गोल मटोल बेफिक्र सी अल्हड़  मासूम आँखें होठों पर नादान
मुस्कराहट ....देव-भूमि में  कदम रखते ही जाने कैसी स्फूर्ति  
आ गई फिर से वही  मुस्कराहट पर ये कुछ अलग गम्भीर थी,देव-भूमि उत्तराखंड  उसकी पहली पसंद ....कुछ सवाल उठे-वो कहाँ है,मैने पूछा--कौन? सवाल हतप्रभ!हैरान! होकर.... "वो नादान मुस्कराहट अल्हड़  मासूम आँखे"
इस बार देव-भूमि भी करुण रूदन में  थी वो सवाल हर वादियों का था देव-भूमि में इस बार वादियां क्यूँ उदास थी 
अपने हरे सुन्दर से आँचल के साथ देव-भूमि अपने आगोश
में  फिर उसे लेने को तैयार थी शायद.....वह भी समा जाना चाहती
इस पवित्र देव-भूमि के आँचल में  लम्बी खामोशी और शान्ति के साथ...........✍ #खामोशी और#सवाल