कहीं मंदिर तोड़े जाएंगे कहीं मस्जिद तोड़े जाएंगे बना है जिसके नाम पर मंदिर बना है जिसके नाम पर मस्जिद उसके वजूद से खुद को कोई ना जोर पाएंगे मकसद उसका ना मंदिर बनाना है ना मस्जिद को बचाना है बदले नहीं मनुष्य की दुर्दशा करते रहे ताकतवर की पूजा चाह रहा बुलंदी पर बैठा हर वह शख्स जो है कुर्सी का भूखा करना चाह रहा बस इंसानों को जाति के नाम पर गुमराह दिल में हो आस्था तो जल जंतु आग मिट्टी तुलसी भी आंगन में जाता पुजा ©Farah Naz #aajkehalat