खींचती लाती अपनी ओर उकता देता है जब दुनिया का शोर! कठपुतली बना लेते हैं लोग हाथों की तब ना रहे दिल पर काबू ना चले उस पर जोर! जान जान कह कर दिल में घर बना लेते हैं और ले लेते हैं हाथ आपके जीवन की बागडोर! स्वार्थवश जुड़ता है जो रिश्ता यहाँ उम्र भी छोटी और कच्ची होती विश्वास की डोर! गर विश्वास ना हो मेरी बात पर ख़ुद पर आजमा लो रहो चाहे संसार का कोई छोर! रंग बदलती दुनिया में एक वीरानी है जिसका ना रंग बदलता ना बदलती ठौर! एक यही जगह बचती बचता यही ठिकाना गले लगाकर वीरानी चुप बातों पर करती गौर! खींचती लाती अपनी ओर उकता देता है जब दुनिया का शोर! कठपुतली बना लेते हैं लोग हाथों की तब ना रहे दिल पर काबू ना चले उस पर जोर! जान जान कह कर दिल में घर बना लेते हैं और ले लेते हैं हाथ आपके जीवन की बागडोर!