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गूंज रही थी चारों दीवारें, तब इंकलाब के नारों से स

गूंज रही थी चारों दीवारें,
तब इंकलाब के नारों से
सहम उठा जब पूरा भारत,
डायर के अत्याचारों से
क्या बच्चे क्या बूढ़े क्या नौजवान थे,
जब जलियांवाला बाग में लिखी
खूनी कलम ने कहानी थी।

शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि

©दास्तान ए मोहब्बत
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