प्रेम हमने भी पढ़ा ढाई आखर प्रेम का , दो आखर मर गये,आधा आखर आहत सा पड़ा रहा, काँखता, कराहता, हम दोनो के मध्य ज़र्जर पुल सा अतीत के अवशेष सा...!!