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मात अंबे मैं पुजारिन,भाव की थाली सजाई। भाव मेरा मर

मात अंबे मैं पुजारिन,भाव की थाली सजाई।
भाव मेरा मर ना जाये,भक्ति हृद भीतर जगाओ ।

अश्रु भीगे नैन मेरे , और हृद में पीर जो माँ।
नैन मेरे पोंछ दो तुम ,हाथ सर धर धीर दो माँ। 
मात दर्शन को तरसती, और मुझको क्यों रुलाओ
भाव मेरा मरना जाये ,भक्ति हृद भीतर जगाओ----

मात ममता सिंधु सी तुम,सुप्त सरिता हृदय मेरा।
मात मंजिल तुम हमारी, सिंधु सरि हो विलय मेरा।
राह माया मात रोड़ा डाल मुझको क्यों रिझाओ। 
भाव मेरा मर ना जाये भक्ति हृद भीतर जगाओ-----

घोर तम फैला हुआ है, भक्ति से रोशन करो माँ।
मन व्यथित जंजाल माया, शक्ति से शोषण करो माँ  
प्यास तेरी भक्ति की माँ, मुक्ति अमरित क्यों पिलाओ।
भाव मेरा मर ना जाये ,भक्ति हृद भीतर जगाओ।-----
मात अंबे मैं पुजारिन,भाव की थाली सजाई।
भाव मेरा मर ना जाये,भक्ति हृद भीतर जगाओ ।

अश्रु भीगे नैन मेरे , और हृद में पीर जो माँ।
नैन मेरे पोंछ दो तुम ,हाथ सर धर धीर दो माँ। 
मात दर्शन को तरसती, और मुझको क्यों रुलाओ
भाव मेरा मरना जाये ,भक्ति हृद भीतर जगाओ----

मात ममता सिंधु सी तुम,सुप्त सरिता हृदय मेरा।
मात मंजिल तुम हमारी, सिंधु सरि हो विलय मेरा।
राह माया मात रोड़ा डाल मुझको क्यों रिझाओ। 
भाव मेरा मर ना जाये भक्ति हृद भीतर जगाओ-----

घोर तम फैला हुआ है, भक्ति से रोशन करो माँ।
मन व्यथित जंजाल माया, शक्ति से शोषण करो माँ  
प्यास तेरी भक्ति की माँ, मुक्ति अमरित क्यों पिलाओ।
भाव मेरा मर ना जाये ,भक्ति हृद भीतर जगाओ।-----