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सूरज कि पहली किरण सा है तू, ओस् की बूंद सी हूँ मैं

सूरज कि पहली किरण सा है तू, ओस् की बूंद सी हूँ मैं
एक सुलझे हुए सवाल सा है तू, एक उलझे हुए जवाब सी हूँ मैं
फूलों के बगान सा है तू, एक छोटी कली के सामन सी हूँ मैं 
हाँ सायद मेरे दहलीज़ पे खड़ा अरमान है तू, तेरे देहलीज पे खड़ी मेहमान हूँ मैं... #कैसाहैतू
सूरज कि पहली किरण सा है तू, ओस् की बूंद सी हूँ मैं
एक सुलझे हुए सवाल सा है तू, एक उलझे हुए जवाब सी हूँ मैं
फूलों के बगान सा है तू, एक छोटी कली के सामन सी हूँ मैं 
हाँ सायद मेरे दहलीज़ पे खड़ा अरमान है तू, तेरे देहलीज पे खड़ी मेहमान हूँ मैं... #कैसाहैतू