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शीर्षक - बस यही फर्क है तुझमें और मुझमें....#24.12

शीर्षक - बस यही फर्क है तुझमें और मुझमें....#24.12.2022

तुम नर हो नारी पर धौंस जमा देते हो
क्या इसलिए कि........
नारी ने बिंदिया सजा रखी है सिर्फ तुम्हारे नाम की

साफ सुथरा मकान,प्रेस किए हुए कपड़े
गर्मागर्म खाना, बाबूजी का चश्मा
मां की दवाई,बच्चों की पढ़ाई 
बुखार में भी चिंता रहती है उसे तुम्हारे हर इंतजाम की

तुम 8 घंटे काम कर थक जाते हो
वो 18 घंटे काम कर भी नहीं थकती 
क्या कभी चिंता भी की है तूने नारी के आराम की

क्या तुम त्याग सकते हो अपना परिवार ?
क्या तुम संभाल सकते हो पेट में बच्चा ?
क्या तुम सह सकते हो मासिक धर्म, प्रसव पीड़ा ?

नहीं ना......फिर कैसी मर्दानगी ?
कोमलांगी कह नारी पर तुम्हारी थोथी धौंस किस काम की।

हां तुम देवी रूप में पूजते हो उपकार है तुम्हारा..
राम से पहले श्रीराम की जय
श्याम से पहले राधेश्याम की जय
करते हो जयघोष सांझ सवेरे देव से पहले देवी के नाम की

कहां भटक जाती है तुम्हारी आत्मा
जब जलाई जाती है दहेज में नारी
जब भरे बाजार नोची जाती है नारी 
जब सरेआम नीलाम होती है नारी

तुम नारी का दर्द 
सिर्फ लिख सकते हो मशहूर होने की खातिर श्याम दीवाना
मगर मैं जानती हूं तुम मेरा दर्द समझ कर भी समझना नहीं चाहते 
क्योंकि तुम नर हो मैं नारी हूं
इतना सब कुछ सह कर भी मुझे फ़िक्र है तुम्हारे भविष्य व अंजाम की।।

बस यही फर्क है तुझमें और मुझमें.....

पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🏻🙏🏻 💐💐

©Pintu Kumawat shyam diwana #nari
#pintukumawatshyamdiwana
#Nojoto
शीर्षक - बस यही फर्क है तुझमें और मुझमें....#24.12.2022

तुम नर हो नारी पर धौंस जमा देते हो
क्या इसलिए कि........
नारी ने बिंदिया सजा रखी है सिर्फ तुम्हारे नाम की

साफ सुथरा मकान,प्रेस किए हुए कपड़े
गर्मागर्म खाना, बाबूजी का चश्मा
मां की दवाई,बच्चों की पढ़ाई 
बुखार में भी चिंता रहती है उसे तुम्हारे हर इंतजाम की

तुम 8 घंटे काम कर थक जाते हो
वो 18 घंटे काम कर भी नहीं थकती 
क्या कभी चिंता भी की है तूने नारी के आराम की

क्या तुम त्याग सकते हो अपना परिवार ?
क्या तुम संभाल सकते हो पेट में बच्चा ?
क्या तुम सह सकते हो मासिक धर्म, प्रसव पीड़ा ?

नहीं ना......फिर कैसी मर्दानगी ?
कोमलांगी कह नारी पर तुम्हारी थोथी धौंस किस काम की।

हां तुम देवी रूप में पूजते हो उपकार है तुम्हारा..
राम से पहले श्रीराम की जय
श्याम से पहले राधेश्याम की जय
करते हो जयघोष सांझ सवेरे देव से पहले देवी के नाम की

कहां भटक जाती है तुम्हारी आत्मा
जब जलाई जाती है दहेज में नारी
जब भरे बाजार नोची जाती है नारी 
जब सरेआम नीलाम होती है नारी

तुम नारी का दर्द 
सिर्फ लिख सकते हो मशहूर होने की खातिर श्याम दीवाना
मगर मैं जानती हूं तुम मेरा दर्द समझ कर भी समझना नहीं चाहते 
क्योंकि तुम नर हो मैं नारी हूं
इतना सब कुछ सह कर भी मुझे फ़िक्र है तुम्हारे भविष्य व अंजाम की।।

बस यही फर्क है तुझमें और मुझमें.....

पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🏻🙏🏻 💐💐

©Pintu Kumawat shyam diwana #nari
#pintukumawatshyamdiwana
#Nojoto