"कृष्ण-प्रेम का जोगी अमन....." सपनों की इक गठरी को हमने,तेरे दामन खोला है। गांव गली घर-बार छोड़ के ,'कृष्ण' नाम से नाता जोड़ा है ।। बांसुरी की धुन की तरह ह्रदय घरौंदे में तुम रीस आये, अमन क्या जाने ये प्रेम-रीत, मन दर्पन क्यों तोड़ा है। टूट गये अनुबन्ध प्रीत के, नैनों में है ना वो चितवन। ये 'कृष्ण' दिवानों का कारवां हमने,बृज की गलियों में मोड़ा है।। तृण-तृण बिखरे प्यास , चलें जग में विष-भरी हवायें। शबनम का क़तरा ऐसे में ,बन जाता एक शोला है।। इस नीरस जमाने से दूर, 'राधा के श्याम' तुझे दिल का बुलावा है। कृष्ण-प्रेम का जोगी 'अमन', सब-कुछ तेरे आँगन छोड़ा है। अमन....( स्वरचित, स्वतंत्र मौलिक रचना) #NojotoQuote कृष्ण-प्रेम का जोगी 'अमन'....