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नकार रहे हैं सब जिस तरह मेरे अस्तित्व को मिरी जाँ

नकार रहे हैं सब जिस तरह मेरे अस्तित्व को मिरी जाँ
क्या कुछ वक्त बाद आप भी भूल  जाइएगा ।

साथ गुज़रे लम्हें कचोटती यादें और मेरा  नाम मिरी जाँ 
क्या  कुछ वक्त बाद ज़ेहन से मिटा जाइएगा ।

साथ दुःख बहुत बांटे हमने खुशियाँ भी मिरी जाँ 
क्या कुछ वक्त बाद इस बात से भी मुह फिरा जाइएगा।

दोस्ती मोहब्बत दुनियादारी सब साथ सीखी हमने मिरी जाँ 
क्या  कुछ वक्त बाद ये सब ग़ैरों के साथ भी दोहरा जाइएगा। 

बेशक बना लीजिए नए रिश्ते खूब निभाईये मिरी जाँ 
लेकिन रख के फूल मेरी मज़ार पर 
कुछ देर बैठ कर गुज़र जाइएगा ॥

आदिल रिज़वी

©डॉ. राखी
  #me पशोपेश (आदिल रिज़वी एवं डॉ. राखी)
drrakhisharma8207

"Midnighter"

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#me पशोपेश (आदिल रिज़वी एवं डॉ. राखी) #Poetry

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