तुम देखोगे मुझको तो किसी ग़ज़ल सा पाओगे कांटों भरे गुलाब सा नहीं एक कंवल सा पाओगे। बड़े से बाल और पतला सा शरीर लिए इरादों को तुम मेरे, किसी महल सा पाओगे। माना किताबों का ज्ञान ज्यादा नहीं है मुझको लेकिन मिलोगे जो तुम थोड़ा बदल सा पाओगे। ये दो चेहरे रखने वाला हुनर हमें नहीं आया जब कभी देखोगे मुझको असल सा पाओगे। कभी दोस्ती करना तो पहले ज़रा सोंच लेना रिश्ते निभाने में मुझको अड़ियल सा पाओगे। और हाँ धोखे से भी माँ से मेरे बारे में मत पूछना वरना इस कूड़े के ढेर को तुम ताजमहल सा पाओगे। #syahi2