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बंद कली, खिल जाती है जब, अपनी खुशबू से महकाती है,

बंद कली, 
खिल जाती है जब,
अपनी खुशबू से महकाती है,
जहां को,
अपनी यौवनता से लुभाती है,
भवरों को, मधुमक्खियों को,
विभिन्न प्रकार के जीवों को,
जो खींचें चले आते हैं,
वास्ता निभाते हैं,
अपनीं मोहब्बत का,
जो खींच ले जाते हैं,
पराग से ख़ुशबू,
फूलों का जीवों के लिए,
त्याग, प्रेम, कर्त्तव्य
अजर, अमर है । सुप्रभात।
यही प्रार्थना है,
सदा खिले रहो, सदा बने रहो।
#खिलेरहो #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

#poetry 
#padhnelikhnewale
बंद कली, 
खिल जाती है जब,
अपनी खुशबू से महकाती है,
जहां को,
अपनी यौवनता से लुभाती है,
भवरों को, मधुमक्खियों को,
विभिन्न प्रकार के जीवों को,
जो खींचें चले आते हैं,
वास्ता निभाते हैं,
अपनीं मोहब्बत का,
जो खींच ले जाते हैं,
पराग से ख़ुशबू,
फूलों का जीवों के लिए,
त्याग, प्रेम, कर्त्तव्य
अजर, अमर है । सुप्रभात।
यही प्रार्थना है,
सदा खिले रहो, सदा बने रहो।
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