आँखें मूंद लेने से हकीकत नहीं बदलती शरीफ मैं, शरीफ तुम,शरीफ वो भी इतना कह देने से नियत नहीं बदलती। सूरत के साथ सीरत भी दिखाये जब अक्स आईना तोड़ देने से सीरत नहीं बदलती। ये तो वक्त है जो कभी रूकता नहीं वक्त न बदले तो कीमत नहीं बदलती। कमियाँ,खामियाँ,खूबियाँ होती हैं सभी में दौलत न देखो तो हैसियत नहीं बदलती। भाग्य की लकीरें तय नहीं करती मंजिलें मुठ्ठी बंद कर लेने से किस्मत नहीं बदलती। मजबूरी,मुफलिसी तोड़ देती है ईमान "पारुल" वरना यूँ ही किसी की शख़्सियत नहीं बदलती। पारुल शर्मा आँखें मूंद लेने से हकीकत नहीं बदलती शरीफ मैं, शरीफ तुम,शरीफ वो भी इतना कह देने से नियत नहीं बदलती। सूरत के साथ सीरत भी दिखाये जब अक्स आईना तोड़ देने से सीरत नहीं बदलती। ये तो वक्त है जो कभी रूकता नहीं वक्त न बदले तो कीमत नहीं बदलती। कमियाँ,खामियाँ,खूबियाँ होती हैं सभी में