सौ ग्राम ज़िन्दगी और ढेर सारे ख्वाब मन की ये खामोशिया ढूंढे ढेरो जवाब मन कभी चंचल मन मे कभी सैलाब मन कभी व्याकुल कैसा ये खिंचाव मन की चेतना और कैसा ये रुआब पार करे कैसे नाविक मन का ये बहाव कैसी ये विचलन और कैसा ये झुकाव मन ये ओढ़े घड़ी-घड़ी ढेरो नक़ाब #inside