जैसे सूखे जिस्म पर रूह कि बरसात हुई टूटकर हैं बिखरते या कहूँ कि सम्भलते सिमटते हुये ज़ब सिलवटों के उकरते रात के साये और ठंडी फुहारों में मुझे बस तेरी खुशबू ही रास आयी.. Collab on this to complete it with your feelings Use hashtag #chiragdubey #samayra #love #collab #yqdidi #collabwithme #YourQuoteAndMine Collaborating with Chirag Dubey