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तारों में दफ़्न था मुद्दतों से वो इक रोज खुद व खुद

तारों में दफ़्न था मुद्दतों से वो
इक रोज खुद व खुद बादल सा छट गया।

जो था खुद में ही जप्त सदियों से 
अब वो दुनिया में किस्तों सा वट गया।

वो हारा बहुत बार मैदान-ए-जंग में
पर जीत की खातिर सरे मैदान डट गया।

कहीं खो ना दे वो अपनी मंजिल ज़हान में 
" निसार " ये सोचके उसके रास्ते से हट गया।

©नितीश निसार #दिल_का_दर्द_शब्दों_में_बयाँ_करें_तो_करें_कैसे_
तारों में दफ़्न था मुद्दतों से वो
इक रोज खुद व खुद बादल सा छट गया।

जो था खुद में ही जप्त सदियों से 
अब वो दुनिया में किस्तों सा वट गया।

वो हारा बहुत बार मैदान-ए-जंग में
पर जीत की खातिर सरे मैदान डट गया।

कहीं खो ना दे वो अपनी मंजिल ज़हान में 
" निसार " ये सोचके उसके रास्ते से हट गया।

©नितीश निसार #दिल_का_दर्द_शब्दों_में_बयाँ_करें_तो_करें_कैसे_
nitishnisar7717

NITISH NISAR

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