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ज़िन्दगी गुज़र गई जिनकी चाह में वो रकीब हो तुम, सम

ज़िन्दगी गुज़र गई जिनकी चाह में वो रकीब हो तुम,
समझ ना सका  जिन्हें आज तक वो अजीब हो तुम,
तुम्हें पाकर  जो चमक  उठा  मेरा वो  नसीब हो तुम,
क्या बताऊँ  ज़िन्दगी हो तुम  दिल के करीब हो तुम।
 "मैं भटकता रहा, जिसके खातिर दरबदर,
तूँ वही मेरी ज़िन्दगी, मेरी सांसों में है बसी..."
आओ अब कुछ लिख जायें।।
कोलाब कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-

#ज़िन्दगीहोतुम
#collabwithकाव्यपथिक
#काव्यपथिक #yqdidi #yqbaba
ज़िन्दगी गुज़र गई जिनकी चाह में वो रकीब हो तुम,
समझ ना सका  जिन्हें आज तक वो अजीब हो तुम,
तुम्हें पाकर  जो चमक  उठा  मेरा वो  नसीब हो तुम,
क्या बताऊँ  ज़िन्दगी हो तुम  दिल के करीब हो तुम।
 "मैं भटकता रहा, जिसके खातिर दरबदर,
तूँ वही मेरी ज़िन्दगी, मेरी सांसों में है बसी..."
आओ अब कुछ लिख जायें।।
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