सुकून की तलब बढ़ जाती है जैसे सुकून कहीं छिपा था किसी अंधेरे में रोशनी से दूर अप्रत्यक्ष आतुर ज्यों प्रियसी हो कोई मिलन को व्याकुल अपने प्रियतम से दुनिया की नज़रों से परे OPEN FOR COLLAB✨ #ATदिनढलतेही • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.