ख़ामोश खामोश है लब्ज जब कुछ कह नही पाते; ये कभी-कभी कुछ बातें छुपाना जानते है; पर आँखों का क्या 'प्रीती' यें तो बिना शर्तो के; भी सब कुछ बयां कर देती है।। 'प्रीती' कलम....🖊 लब्जो की खामोशीं...🖊🤐