आज जब वर्दी मैंने पहनी है... सांसे कांप रहीं हैं... और... नब्जें सेहमी सेहमी हैं... आज फिर तेरा चेहरा याद आया है... जब इस भीड़ में भी.. खुद को अकेला मैने पाया है.... Part 2.. to be continued...